गौदान का फल

गौ हमारी माता है वास्तव में गौ और ब्राह्मण दोनों एक ही कुल के है ब्राह्मणों से यदि वेद मंत्र की स्थिति है तो गौओ से यज्ञ के साधन हविष्य की प्राप्ति होती है.शास्त्रों में गौ दान का बहुत महत्व कहा गया है. तो आईये जाने कब, किस तरह की, गौ दान का फल है.

1.- जैसे नदियों में गंगा नदी श्रेष्ठ है, इसी प्रकार गौओ में कपिला गौ उत्तम मानी गई है.जो गौ सीधी हो, दुहने में तंग न करे, जिसका बछड़ा सुन्दर हो, ऐसी गाय का दान करने से, उसके शरीर में जितने रोये होते है उतने वर्षों तक दाता परलोक में सुख भोगता है.

2.- बीमार, अंगहीन,बूढी गाय या अन्याय से प्राप्त की हुई गाय का दान नहीं करना चाहिये, स्वयं उसकी सेवा करनी चाहिये.

3.- खरीदी हुई, दुग्धवती, दुःख से छुडाई हुई, गौदान करना प्रशसनीय मानी गई है.उभयमुखी धेनु को दान करने का शास्त्रों में बड़ा महत्व है.तुरंत ब्याती हुई गाय को ही "उभयमुखी"गौ कहते है.

4.- गौ ब्या रही हो, बछड़े का थोडा-सा भी अंग दिख रहा हो,उस समय वह गौ पृथ्वी रूपा हो जाती है उसका दान करने पर सम्पूर्ण पृथ्वी के दान का फल प्राप्त होता है.वही गाय उभयमुखी कहलाती है.और उस बछड़े और गाय के शरीर में जितने रोयें होते है उतने युगों तक दाता देवलोक में पूजित होता है.

5.- ब्राहमण को सफ़ेदगौ दान करने से, मनुष्य ऐश्वर्यशाली होता है. धुएं के समान रंग वाली गौ स्वर्ग प्रदान करने वाली होती है.कपिलगौ का दान अक्षय फल देने वाला है,कृष्णगौ का दान देकर मनुष्य कभी कष्ट में नहीं पड़ता. भूरेरंग की गाय दुर्लभ है, गौररंग वाली गाय कुल को आनंद प्रदान करने वाली होती है मन, वचन, क्रिया, से जो भी पाप बन जाते है, उन सबका कपिला गौ के दान से क्षय हो जाता है.

6.- वैतरणी धेनु - कृष्ण वर्ण वाली होती है जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तब नीचे से ऊपर जाने के मार्ग में वैतरणी नदी मिलती है जो बहुत भयानक होती है.यदि व्यक्ति ने अपने जीवन में गाय को दान किया हो तो उसे नदी को पार करने के लिए वही धेनु मिलती है व्यक्ति उसकी पूंछ पकड़कर आसानी से नदी को पार कर जाता है.

7.- उत्क्रांति धेनु - यदि किसी व्यक्ति के प्राण निकलते समय बहुत कष्ट हो रहा हो तो उत्क्रांति धेनु का दान यदि उससे कराया जाए तो उसके प्राण निकलने में कष्ट नहीं होता.

8.- ऋण धेनु -ऋषि ऋण, पितृ ऋण मनुष्य और अन्य ऋण से मुक्त होने के लिए भी मानुष को गाय का दान करना चाहिये.

9.- पपनोदक धेनु -कायिक, वाचिक, मानसिक, पाप की निवृति के लिए भी व्यक्ति को गौ का दान करना चाहिये.

10.- गाय उसी ब्राह्मण को दान देना चाहिये e जो वास्तव में गाय को पाले, उसकी रक्षा करे, सेवा करे.अन्यथा गौदान करने पर गौ माता यदि दुखी रहती है, तो हमारा गौ दान करना व्यर्थ है.

11.- जो दस गौए और एक बैल दान करता है तो छोडा हुआ सांड अपनी पूँछ से जो जल फेकता है, वह एक हजार वर्षों तक पितरो के लिए तर्प्तिदायक होता है, सांड या गाय के जितने रोएँ होते है उतने हजार वर्षों तक मनुष्य स्वर्ग में सुख भोगता है.

 

 

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